KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार की राजनीति में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को पूर्वी चंपारण जिले के ढाका प्रखंड में करारा झटका लगा है। जेडीयू के ढाका प्रखंड अध्यक्ष गौहर आलम ने पार्टी से इस्तीफा देकर अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इस राजनीतिक घटनाक्रम ने सूबे की सियासत में हलचल मचा दी है।
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पूर्व विधायक फैसल रहमान के आवास पर हुआ शामिल
गौहर आलम ने यह बड़ा फैसला ढाका के पूर्व विधायक फैसल रहमान के निवास स्थान पर लिया, जहां उन्होंने एक भव्य कार्यक्रम में आरजेडी का दामन थामा। इस मौके पर मौजूद आरजेडी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। गौहर आलम और उनके साथ आए समर्थकों को फूलमाला पहनाकर और आरजेडी की टोपी पहनाकर पार्टी में शामिल किया गया।
वक्फ बिल को लेकर पहले से नाराज थे
गौरतलब है कि पिछले दिनों बिहार विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों में वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Bill) पारित होने के बाद मुस्लिम समुदाय में भारी नाराजगी देखी गई थी। इसी पृष्ठभूमि में गौहर आलम ने जेडीयू से इस्तीफा दिया था, जिसके साथ-साथ 15 अन्य लोगों ने भी पार्टी छोड़ दी थी। तब से यह कयास लगाए जा रहे थे कि वह जल्द किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं, जो अब जाकर सच साबित हुआ है।
नीतीश कुमार पर साधा निशाना
आरजेडी में शामिल होने के बाद गौहर आलम ने नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि, “नीतीश कुमार की पार्टी पहले एक सेक्युलर पार्टी मानी जाती थी, लेकिन अब वह पूरी तरह बीजेपी और आरएसएस की गोद में बैठ चुकी है। ऐसी स्थिति में उन्हें सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।” उन्होंने नीतीश कुमार की राजनीति को अवसरवादी करार देते हुए कहा कि जनता अब उनके दोहरे चरित्र को समझ चुकी है।
तेजस्वी यादव को बताया बिहार का भविष्य
गौहर आलम ने आरजेडी प्रमुख और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की जमकर तारीफ करते हुए उन्हें बिहार का भविष्य बताया। उन्होंने कहा कि “बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है और वह बदलाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आएगा। विधानसभा चुनाव 2025 में तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनना तय है।” उन्होंने आगे कहा कि बिहार की जनता अब जाति, धर्म और सांप्रदायिकता की राजनीति से ऊपर उठकर विकास और समानता की राजनीति को अपनाना चाहती है।
मुस्लिम वोट बैंक पर हो सकता है असर
गौहर आलम का यह कदम बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक के संदर्भ में भी अहम माना जा रहा है। मुस्लिम समुदाय में पहले से ही वक्फ बिल को लेकर असंतोष फैला हुआ है और जेडीयू पर नाराजगी है। ऐसे में एक मजबूत मुस्लिम नेता का जेडीयू छोड़कर आरजेडी में शामिल होना आरजेडी की ताकत को और मजबूत कर सकता है, खासकर सीमांचल और मिथिलांचल क्षेत्रों में, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
स्थानीय राजनीति में होगा बड़ा प्रभाव
गौहर आलम पूर्वी चंपारण जिले के ढाका प्रखंड में एक प्रभावशाली चेहरा माने जाते हैं। उनके पास मजबूत कार्यकर्ता नेटवर्क और सामाजिक आधार है। उनका आरजेडी में शामिल होना स्थानीय स्तर पर जेडीयू की पकड़ कमजोर कर सकता है, वहीं आरजेडी को बूथ स्तर तक मजबूती देगा।
आरजेडी को मिल रहा है नया उत्साह
आरजेडी इन दिनों नई ऊर्जा के साथ आगामी चुनावों की तैयारी में जुटी है। तेजस्वी यादव खुद विभिन्न जिलों में लगातार यात्राएं कर रहे हैं और युवा नेताओं को पार्टी में सक्रिय भूमिका देने पर जोर दे रहे हैं। गौहर आलम जैसे युवा और सक्रिय नेताओं का जुड़ना आरजेडी के लिए न केवल रणनीतिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि इससे पार्टी का ग्राउंड नेटवर्क भी और मजबूत होगा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले गौहर आलम का जेडीयू छोड़कर आरजेडी में शामिल होना, बिहार की सियासत में बड़ा परिवर्तनकारी कदम माना जा रहा है। यह ना केवल जेडीयू के लिए एक राजनीतिक नुकसान है, बल्कि आरजेडी के लिए एक मजबूत बढ़त भी साबित हो सकता है। इससे यह संकेत मिल रहा है कि आगामी चुनाव में वोटों का ध्रुवीकरण धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक न्याय आधारित राजनीति के पक्ष में हो सकता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि जेडीयू इस झटके से कैसे उबरती है और क्या अगला कदम उठाती है।
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